ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्डियोलॉजी विभाग के लिए 16 बेड की कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) के निर्माण में 8 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का मामला सामने आया है। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, पूर्व खरीद अधिकारी डॉ. राजेश पसरीचा और पूर्व स्टोर कीपर रूपसिंह समेत अन्य अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ 26 सितंबर 2025 को एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने तफ्तीश शुरू कर दी है।
यह प्रकरण 2017 का है, जब 5 दिसंबर को टेंडर जारी कर दिल्ली की कंपनी एमएस प्रो मेडिक डिवाइसेस को सीसीयू निर्माण का ठेका दिया गया। कंपनी ने 2019-2020 में दो किस्तों में उपकरणों की आपूर्ति की, जिसके लिए एम्स ने 8.08 करोड़ रुपये का भुगतान किया। हालांकि, इतनी भारी राशि खर्च होने के बावजूद सीसीयू यूनिट एक दिन भी कार्यशील नहीं हो सकी। 26 मार्च 2025 को सीबीआई और एम्स अधिकारियों की संयुक्त जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। जांच में पाया गया कि आपूर्ति किए गए कई उपकरण घटिया गुणवत्ता के थे, कुछ उपकरण गायब थे, और कई सामान टेंडर की शर्तों के स्पेसिफिकेशन से मेल नहीं खाते थे। इसके अलावा, टेंडर से संबंधित महत्वपूर्ण फाइल भी गायब पाई गई।
आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई और उपकरणों की खरीद में भारी भ्रष्टाचार हुआ। इस घोटाले के कारण मरीजों को सीसीयू की सुविधा नहीं मिल सकी, जिससे उनकी जान जोखिम में रही। सीबीआई अब इस मामले में गहन जांच कर रही है ताकि दोषियों को सजा दिलाई जा सके।