हरिद्वार। कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जायज मांगों को लेकर सरकार तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है, तो उसे क्यों रोका जा रहा है? सरकार ने लाठी-डंडों के बल पर किसानों की आवाज दबाने का काम किया है, जो बाबा साहेब बीआर अंबेडकर के बनाए संविधान की हत्या है। संविधान हमें लोकतंत्र में स्वतंत्रता का अधिकार देता है। रावत ने पुलिस के लाठीचार्ज की निंदा करते हुए कहा कि इसमें शामिल अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से अपील की कि किसानों से वार्ता करके उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
रावत ने आगे कहा, सरकार को जानना चाहिए कि किसान प्रीपेड मीटर का विरोध क्यों कर रहा है? उनके गन्ने के वाजिब दाम क्यों नहीं मिल रहे? बीज और खाद के दाम आसमान छू रहे हैं, लेकिन सरकार आंखें मूंदे बैठी है। इन सब पर गहन चर्चा होनी चाहिए। खाद समय से नहीं मिल रही, और अगर मिल भी रही है तो दाम इतने ज्यादा हैं कि खेती करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “सत्ता में बैठकर वे मदहोश हो गए हैं। घमंड रावण और कंस का भी नहीं रहा, सत्ताधारी पार्टी को रावण और कंस की तरह घमंड हो गया है। क्या वे हमेशा सत्ता में रहेंगे? रावत ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर लाठीचार्ज को निंदनीय बताया और कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में उनका कर्तव्य है कि वे किसानों के समर्थन में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहें। उन्होंने लोकतंत्र में घमंड तोड़ने के लिए सत्ता परिवर्तन को बड़ा हथियार बताया और कहा कि कांग्रेस इसमें अहम भूमिका निभाएगी। अंत में, उन्होंने चेतावनी दी कि अब इनकी विदाई ऐसी होगी कि उनकी अंत्येष्टि गंगा में नहीं करेंगे, क्योंकि गंगा अपवित्र हो जाएगी। उनके खनन घोटाले और भ्रष्टाचार ने उन्हें गंदे नालों में अंत्येष्टि के योग्य बनाया है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की ओर बढ़ रहे किसानों के एक शांतिपूर्ण मार्च को पुलिस ने हरिद्वार जिले के बहादराबाद टोल प्लाजा पर रोक लिया। जिसके बाद हुई झड़प में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। यह घटना 21 अगस्त को हुई, जब भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेतृत्व में सैकड़ों किसान स्मार्ट (प्रीपेड) बिजली मीटरों की स्थापना, बिजली बिलों में वृद्धि, खाद-बीज की ऊंची कीमतों और गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर ऊर्जा भवन पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। इस घटना में करीब 20 किसान घायल हुए, जिनमें से कुछ को गंभीर चोटें आईं। पुलिस का दावा है कि किसानों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, लेकिन किसान संगठनों ने इसे सरकार की तानाशाही करार दिया। इस घटना ने पूरे राज्य में किसान आंदोलन को नई गति दी है और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने इसे संविधान की हत्या बताते हुए कड़ी निंदा की है।
यह विरोध प्रदर्शन उत्तराखंड के किसानों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का परिणाम है। किसान लंबे समय से स्मार्ट मीटरों का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ये मीटर पूर्व भुगतान (प्रीपेड) प्रणाली पर आधारित हैं, जो ग्रामीण इलाकों में बिजली की उपलब्धता को प्रभावित करेंगे। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत मीटर में बैलेंस खत्म होने पर बिजली कट जाती है। जो किसानों के लिए सिंचाई और दैनिक जरूरतों में बाधा बनती है। फरवरी 2025 में ही कांग्रेस ने विधानसभा में इस मुद्दे पर वॉकआउट किया था। जहां उन्होंने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटरों से बिजली दरों में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। हाल की घटना में, किसान संगठनों ने दावा किया कि मीटरों की स्थापना से छोटे किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। क्योंकि वे समय पर रिचार्ज नहीं कर पाएंगे।
इसके अलावा, गन्ने के दाम की मांग भी प्रमुख है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में गन्ना किसान लंबे समय से एमएसपी में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में गन्ने का मूल्य 350-400 रुपये प्रति क्विंटल है। लेकिन किसान संगठन जैसे भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने इसे 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। गन्ना किसानों का कहना है कि उत्पादन लागत में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन मूल्य स्थिर है, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है। उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों से गन्ने का रेट नहीं बढ़ा और किसानों को भुगतान में भी देरी हो रही है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि खाद और बीज की समस्या भी गंभीर है। किसानों का आरोप है कि यूरिया और डीएपी जैसी खाद की कीमतें आसमान छू रही हैं और उपलब्धता भी कम है। एक आधार कार्ड पर केवल दो कट्टे खाद मिल रही है। उत्तराखंड में किसानों का कहना है कि समय पर खाद न मिलने से फसलें प्रभावित हो रही हैं और ऊंची कीमतों से खेती घाटे का सौदा बन गई है।