आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि ज्ञान की अभिवृद्धि के लिए शास्त्रों में 4 विधियों का वर्णन है जिनमें श्रवण पहला साधन है। उन्होंने कहा कि विगत दो दिनों से पतंजलि के प्रांगण में ज्ञान की जो गंगा बह रही है। उसके श्रवण का लाभ पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज व पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्रों, प्राध्यापकगणों तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को मिला है। बुधवार को सम्मेलन में भारतीय संस्कृति, परम्परा को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ तथा हमारे प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि विज्ञान की परम्परा पर किसी भी काल या समय का प्रभाव नहीं पड़ता, केवल बोध का अभाव होता है। इस सम्मेलन का लक्ष्य आयुर्वेद की होलिस्टिक अप्रोच को जन-सामान्य के बीच स्थापित करना है। आयुर्वेद शरीर के साथ-साथ मन व आत्मा को भी निरोगी बनाता है।
सम्मेलन की शुरुआत में भरुवा सोल्यूशंस कम्पनी की डॉयरेक्टर नेहा सिंह ने पतंजलि द्वारा तैयार एचआईएमएस (हॉस्पिटल इंफारमेशन मैनेजमेंट सिस्टम) की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह सॉफ्टवेयर न केवल आयुष अस्पतालों अपितु सभी एलोपैथिक अस्पतालों के लिए एक वरदान है।
सम्मेलन में फाउण्डेशन फॉर एंशिएंट इण्डियन फिलोसफी एण्ड मैडिसिन पुणे के सचिव तथा चीफ कंसल्टेंट सर्जन डॉ. सचिन देशपाण्डे ने ‘इंटरकनैक्टिंग सर्जिकल आर्ट, फिलोसफी एण्ड टेक्नोलॉजी फॉर हालिस्टिक हैल्थ’; पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के शल्य विभाग के प्रोफेसर व विभागप्रमुख डॉ. सचिन गुप्ता ने ‘एन इनोवेटिव हाइब्रिड टैक्निक टू ट्रीट बिनाइन एनोरेक्टल डिज़ीजेस विद आयुर्वेद एण्ड लेज़र सर्जरी एसीएसआईआर, सीएसआईआर-सीएसआईओ, चण्डीगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार ने ‘बॉयो-सिग्नल्स एण्ड देयर एप्लिकेशन्स’ विषय पर अपने शोध साझा किए।
सत्राध्यक्ष के रूप में अल्वर फार्मेसी कॉलेज, राजस्थान के प्रधानाचार्य प्रो.जेयाबालन तथा पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, हरिद्वार के पीजी स्टडीज डीन डॉ.सीबी धनराज ने सत्र की समाप्ति पर समापन उद्बोधन दिया।
सायंकालीन सत्र में बॉयोइन्फार्मेटिक्स सेन्टर एसपी, पूणे विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रो. मनाली जोशी, एआईआईएमएस-ऋषिकेश के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर प्रो.बाबूराम ओमर, ह्यूमन एनर्जी रिसर्च सेन्टर के डॉयरेक्टर डॉ.रमेश सी. वैश, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के डॉयरेक्टर आईक्यूएसी तथा एथिकल कमेटी के डीन डॉ.आर.सी. दूबे ने अपने शोध प्रस्तुत किए।
अबर्न यूनिवर्सिटी, यूएसए के ड्रग डिस्कवरी एण्ड डेवलपमेंट, एडमिनिस्टेशन, के डॉयरेक्टर ऑफ इंटरनेशनल प्रोग्राम प्रो. मुरली कृष्णन धनसेकरन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डियन मेडिकल हैरिटेज के रिसर्च ऑफिसर (आयु.) डॉ.साकेत राम, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के बॉयोरिफाइनिंग एण्ड एडवांस मटिरियल्स रिसर्च सेन्टर आई, एसआरयूसी के प्रमुख डॉ.विजय कुमार ठाकुर ने ऑनलाईन माध्यम से सम्मेलन में भाग लिया।
सायंकालीन सत्र में सत्राध्यक्ष के रूप में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के नैनो आयुर विभाग के प्रमुख डॉ.कुनाल भट्टाचार्य तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के चीफ नॉलेज ऑफिसर एवं वैज्ञानिक डॉ.अनुपम श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।